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पितर पूजा निषेध

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www.jagatgururampaljiorg.com                 पितर पूजा निषेध संत रामपाल जी महाराज किसी प्रकार की पितर पूजा, श्राद्ध निकालना आदि कुछ नहीं करना है। भगवान श्री कृष्ण जी ने भी इन पितरों की व भूतों की पूजा करने से साफ मना किया है। गीता जी के अध्याय नं. 9 के श्लोक नं. 25 में कहा है कि - यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितऋन्, यान्ति, पितव्रताः। भूतानि, यान्ति, भूतेज्याः, मद्याजिनः, अपि, माम्। अनुवाद: देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मतानुसार पूजन करने वाले भक्त मुझसे ही लाभान्वित होते हैं। बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज और कबीर साहिब जी महाराज भी कहते हैं । ‘गरीब, भूत रमै सो भूत है, देव रमै सो देव। राम रमै सो राम है, सुनो सकल सुर भेव।।‘‘ इसलिए उस(पूर्ण परमात्मा) परमेश्वर की भक्ति करो जिससे पूर्ण मुक्ति होवे। वह परमात्मा पूर्ण ब्र सतपुरुष(सत कबीर) है। इसी का प्रमाण गीता जी के अध्याय नं. 18 के श्लोक नं. 46 में है। यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ...