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भक्ति क्यों करनी चाहिए

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हम बार-बार आपको भक्ति के बारे मे चेताते रहते है, आइए जानते है आखिर भक्ति क्यु करनी चाहिए:- आज आप भूख लगते ही अपनी सुविधा अनुसार भोजन कर लेते है, एक दिन भूखा रहकर देखिए क्या हाल होता है, और अब कुत्ते के जीवन के बारे में सोचिए जो एक टूक के लिए घर घर घूमता रेहता है और वो भी रेत मे गिरा हुआ खाता है और की बार वो भी ना मिले तो गंद खाके पेट की भूख को शांत करने की सोचता है। ऐसे ही आप छोटी सी खरोंच लगते ही तिलमिला उठते है, कुछ छोटी मोटी बीमारी या पेट में दर्द होते ही डॉक्टर के पास पहुच जाते है, अब एक गधे के जीवन को सोचिए जो दिन भर वजन ढोता है, लट्ठ भी खाता है, और कई बार घाव होने पर कौवे उसके घाव पर चोंच मार रहे है, उसके उपर वजन अलग से, तो सोचकर देखिए उस पीड़ा को और अंत मे खाने को गंद ही मिलता है। 👆ये सब हुआ उस मालिक की सही भक्ति ना करने के कारण, जिसके कारण हम ऐसी ऐसी चौरासी लाख योनियों में घूमते रहते है, और महा कष्ट उठाते है। अब आपको इस दुर्लभ समय मानव जीवन मिला है, तो क्यु ना इस मानव जीवन का फायदा उठाए और सही गुरु की तलाश करे, जिसकी पहचान हमारे धार्मिक ग्रंथो (गीता, वेद, पुराण) मे बतायी है, उ

पितर पूजा निषेध

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www.jagatgururampaljiorg.com                 पितर पूजा निषेध संत रामपाल जी महाराज किसी प्रकार की पितर पूजा, श्राद्ध निकालना आदि कुछ नहीं करना है। भगवान श्री कृष्ण जी ने भी इन पितरों की व भूतों की पूजा करने से साफ मना किया है। गीता जी के अध्याय नं. 9 के श्लोक नं. 25 में कहा है कि - यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितऋन्, यान्ति, पितव्रताः। भूतानि, यान्ति, भूतेज्याः, मद्याजिनः, अपि, माम्। अनुवाद: देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मतानुसार पूजन करने वाले भक्त मुझसे ही लाभान्वित होते हैं। बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज और कबीर साहिब जी महाराज भी कहते हैं । ‘गरीब, भूत रमै सो भूत है, देव रमै सो देव। राम रमै सो राम है, सुनो सकल सुर भेव।।‘‘ इसलिए उस(पूर्ण परमात्मा) परमेश्वर की भक्ति करो जिससे पूर्ण मुक्ति होवे। वह परमात्मा पूर्ण ब्र सतपुरुष(सत कबीर) है। इसी का प्रमाण गीता जी के अध्याय नं. 18 के श्लोक नं. 46 में है। यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्। स्वकर्मणा तमभ्यच्र्य सिद्धिं विन्