In 1398, Almighty KavirDev descended in Kashi in physical form and ascended back from Maghar in 1598 along with his body. At this time, he took his his personal servant Dharmadas ji to Satlok, gave information about creation, told about the secret of Kaal (Satan) and got it written in a book.
परनारी पैनी छुरी, तीन ठौर से खाय। धन हरे, यौवन हरे, अंत नरक ले जाए।।
परनारी पैनी छुरी, तीन ठौर से खाय। धन हरे, यौवन हरे, अंत नरक ले जाए।। परनारी पैनी छुरी, तीन ठौर से खाय। धन हरे, यौवन हरे, अंत नरक ले जाए।। कबीर परमेश्वर ने कहा है :- कि नारियों को भगवान ने सुन्दर और मोहक बनाया है और पुरुषों का काम है कि उनके मोह में उलझे बिना अपना काम करें जिसने भी स्त्रियों के रूप जाल और मोहनी अदाओं पर अपने मन और नैनों को भटकाया उसका नाश तय है। कबीर परमेश्वर ने कहा है :- पर_नारी_पैनी_छुरी__मति_कोई_करो_प्रसंग ! रावण_के_दस_शीश_गये_पर_नारी_के_संग !! इस बात को हर कोई जानता है कि रावण ने पर स्त्री यानी भगवान राम की पत्नी सीता का हरण किया था ! परिणाम आपके सामने है कि रावण ने अपने एक लाख पुत्र व सवा लाख पौत्रों (नाती)के साथ अपने वंश का नाश करवा लिया ! इतिहास और पुराणों में इस तरह की कई कथाएं मौजूद हैं देवी अहिल्या पर कुदृष्टि रखने के कारण देवराज इन्द्र को अपना सिंहासन गवाना पड़ा था। वर्तमान में भी आपने ऐसी कई घटनाएं सुनी होगी की पर स्त्री सम्बंध के कारण कई परिवार तबाह हो गए इसलिए कबीर साहिब जी ने परस्त्रियों को पैनी छुरी कहा है क्योंकि ये कभी रोकर तो कभी हँ...
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Sat bhgti ki sahi vidi Jane ke liye hum se Jude