कैसे हो बलात्कार रूपी राक्षस का खात्मा?

कैसे हो बलात्कार रूपी राक्षस का खात्मा?



वर्तमान समय में यौन उत्पीड़न की घटनाएं अखबार के पन्नों पर और टीवी में सुर्खियों में रहती हैं। आए दिन लड़कियां कहीं ना कहीं इस घिनौनी वारदात का शिकार हो रही हैं। भारत में तो बलात्कार आम बात हो गई है। लगभग हर 22 मिनट में भारत में बलात्कार हो रहा है जो एक बहुत ही संवेदनशील विषय है।

इस लोक में रहने वाले मनुष्य की वृत्ति भी वही है जो काल ब्रह्म की है। जिसने दुर्गा के साथ दुर्व्यवहार कर तीन पुत्रों की उत्पत्ति की। उसी प्रकार इस लोक में रहने वाले मनुष्यों पर भी वही प्रभाव पड़ रहा है। इसीलिए इसको छोड़कर हमें पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब की भक्ति करनी चाहिए जो सब प्रकार के विकारों से परे हैं।
वर्तमान समय में स्वतंत्रता शब्द केवल कहने के लिए रह गया जिसका असल में अब कोई मतलब या मूल्य नहीं है। आज़ादी केवल नाम मात्र की है जबकि परिदृश्य बिल्कुल इसके विपरीत है।

आज के समाज में घृणित कृत्यों जैसे शराब पीना, नशे करना, किसी की बहन बेटियों पर भद्दे कमेंट करना, परनारी स्त्री को गंदी नजर से देखना, बलात्कार जैसी अमानवीय घटनाओं का बढ़ना इत्यादि सब एक असभ्य समाज का चित्र है। इन सभी से कहीं भी एक स्वतंत्र भारत का चित्र सामने नहीं आता अपितु एक अभद्र समाज आंखो के सामने चित्रित होता है। इससे स्पष्ट है कि चाहे भारत एक स्वतंत्र देश है, इसके बावजूद स्वतंत्र देश में नारी कहीं भी सुरक्षित नहीं है। बलात्कार जैसी अमानवीय घटनाओं के बढ़ने के कारण हर पल वह एक डर के साथ जी रही है कि कहीं उसके साथ अमानवीय घटना घटित ना हो जाए।

यौन उत्पीड़न की घटनाओं के बढ़ने का मुख्य कारण



हीरो हीरोइन का फिल्मों में पारदर्शिता वाले कपड़े पहनना, जीन्स, तंग या छोटे कपड़े पहनना, आम लड़कियों के लिए और मुसीबत खड़ी कर देता है। क्योंकि समाज में उनको एक इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ की तरह देखा जाने लगता है। इसके इलावा नशे की लत में अंधे होकर इंसान चाहे कितना ही घिनौना काम हो उसको करने से नहीं डरता। लाभ-हानि होने के कारण खुशी तथा दुःख का बहाना करके शराब आदि का सेवन करना। फिर नशे के प्रभाव में अनैतिक कार्य जैसे रेप (बलात्कार), छेड़छाड़ आदि करने लगते हैं। वे राक्षस स्वभाव के बन जाते हैं।
इन बढ़ती अमानवीय घटनाओं का एक मुख्य कारण अभद्र फिल्में, भद्दे अश्लील गाने भी हैं। अच्छे संस्कारों से तो कोसों दूर रहकर असभ्य फिल्में बनाई जाती हैं जिसका सीधा असर युवा वर्ग पर पड़ता है जिसको देखकर युवा वर्ग में वासना उत्तेजित होती है तथा वे भी जो कुछ फिल्मों में दिखाया जाता है उसकी नकल करने के लालच में गलत संगत में पड़कर गलत काम को अंजाम देने से नहीं डरते और बाद ने पछतावा ही हाथ लगता है।

पूर्ण संत कौन हैं?

वर्तमान समय में संतो की बाढ़ से आई हुई है लेकिन पूर्ण संत केवल संत रामपाल जी महाराज हैं जिन्होंने सभी धर्म ग्रंथो में से प्रमाणित भक्ति प्रदान कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में एक ऐसा निर्मल और सभ्य समाज तैयार हो रहा है जिसमें इन बुराइयों की कहीं कोई जगह नहीं है। अगर किसी अनुयाई में नाम लेने से पहले कोई बुराई होती भी है तो वह वो भी छोड़ देता है।

संत रामपाल जी सभी प्रकार की बीमारियों से भी निजात दिलवाते हैं। संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिए जा रहे सत्संग-विचार के वचनों का सब पर जादुई प्रभाव पड़ता है। उनके द्वारा बताए जा रहे तत्वज्ञान से जो कि परमात्मा के संविधान अनुसार बताया गया है, सब विकार समाप्त हो जाते हैं। उनसे नामदीक्षा प्राप्त कर अनुयाई उनके द्वारा बताई मर्यादा में रहकर भक्ति करते हैं। जिससे परमात्मा कबीर जी की शक्ति से आत्मा में शक्ति आती है और इससे गलत कार्य करने की प्रेरणा कभी नहीं मिलती। न कोई गलत कदम उठाने को मन करता है।

केवल संत रामपाल जी के विचारों से ही मानव समाज में सुधार आएगा। गिरती मानवता का उत्थान होगा। देश के लड़के-लड़की अपनी संस्कृति पर लौटेंगे। बलात्कार व यौन उत्पीड़न की घटनाऐं समूल नष्ट हो जाएंगी। कबीर जी के विचारों का प्रचार करके स्वदेशी-पुरानी सभ्यता को जगाया जा सकता है। कबीर जी अपनी वाणी में बताते हैं कि नारी के लिए किस तरह की सोच या दृष्टि रखनी चाहिए।


कबीर, परनारी को देखिये, बहन बेटी के भाव।
कह कबीर दुराचार नाश का, यही सहज उपाव।

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