!! आम का पेड़ !!
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एक समय की बात है गौतम बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे। तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ों पर पत्थर मारकर आम तोड़ने लगा। तभी एक पत्थर बुद्ध के सिर पर लगा और सिर से खून बहने लगा। बुद्ध की आँखों में आंसू आ गये। बच्चों ने देखा तो भयभीत हो गये और उन्हें लगा कि अब बुद्ध उन्हें भला-बुरा कहेंगे। बच्चों ने उनके चरण पकड़ लिए और उनसे क्षमा याचना करने लगे। उनमें से एक बच्चे ने कहा, “हमसे भारी भूल हो गई है, हमारी वजह से आपको पत्थर लगा और आपके आंसू आ गये, हमें माफ़ कर दें अब हमसे ऐसी गलती नहीं होगी!”
इस पर बुद्ध ने उन्हें समझाते हुए कहा, “बच्चों, मैं इसलिए दुःखी हूँ कि तुमने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हे मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैं तुम्हें सिर्फ भय दे सका।” सच है महापुरुषों का जीवन केवल परमार्थ के लिए ही होता है, खुद को तकलीफ पहुँचने के बावजूद भी वे सिर्फ दूसरों की ख़ुशी के बारे में ही सोचते हैं और ऐसे लोग ही महामानव कहलाते हैं।
शिक्षा:-
हमें भी भगवान बुद्ध की तरह परमार्थ, दूसरों की खुशी के लिए ही कार्य करने चाहिए। क्रोध में आकर गलत निर्णय लेने से बचना चाहिए।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
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Gurunanak Devji was a sant who has given best lession by their quotes
ReplyDeleteUndoubtedly, Guru Nanak Sahib is higher soul than anyone can ever imagine
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