गलत को गलत कहने की क्षमता नही तो आपकी प्रतिभा व्यर्थ है


करनी भुगते आपनी , नाना बिधि की मार ॥
गरीब , चौदा कोटि भयंकरम , चौदा मुनि दिवान ।
कोटि कोटि ताबै किये , साईं का फुरमान ॥
गरीब , रुधिर भरे जहाँ कुंड हैं , कुंभी जिनका नाम ।
दवारा हैं मुख लोड का , बड़ा भयंकर धाम ॥
गरीब , सो सो योजन कुंड है , गिरद गता बहु भीर ।
कोट्यो जिव उसारिये , कहिं न पावै थीर ॥
गरीब , हाथ पैर जिनके नहीं , नहीं शीश मुखद्वार ।
तलछू माछू होत हैं , परै गैब की मार ॥
गरीब , लघुसी बानी कहत हूँ , दीरघ कही न जाय ।
जम किंकर की मार से , साईं लेत छुड़ाय ॥
गरीब , नीले जिनके होंठ हैं , काली जिनकी जीभ ।
चिसमे जिनके लाल है , रक्त टपकै पीव ॥
गरीब , सूर स्वान के मुख बने , धड़ तो जिनकी देह ।
दस्तो जिनके गुर्ज हैं , मारे निर संदेह ॥
गरीब , स्याम वर्ण शंका नही , दागड दुम खलील ।
उरध चुंच मुख काग का , चिसमे जिनके नील ॥
गरीब , शक्ति सरुपी तन धरै , लघु दीरघ हो जाहिं ।
बाहर भीतर मार हैं , तन कूं बहु विधि खाहिं ॥
गरीब , कोटि-कोटि की जोट हैं , कोटि-कोटि एक संग ।
एका-एकी फिरत है , ऐसेभयंकर अंग ॥
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॥.....जय हो बंदीछोड़ की.....सत साहेब सभी को.....॥

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