गुरु भगवान
"गुरु दर्श की महिमा" 🌷🙏🌹
सत्संग में समय मिलते ही आने की कोशिश करे तथा सत्संग में नखरे (मान-बड़ाई) करने नहीं आवे। अपितु अपने आपको एक बीमार समझ कर आवे। जैसे बीमार व्यक्ति चाहे कितने ही पैसे वाला हो, चाहे उच्च पदवी वाला हो जब हस्पताल में जाता है तो उस समय उसका उद्देश्य केवल रोग मुक्त होना होता है।
जहाँ डॉक्टर लेटने को कहे लेट जाता है, बैठने को कहे बैठ जाता है, बाहर
जाने का निर्देश मिले बाहर चला जाता है। फिर अन्दर आने के लिए आवाज आए चुपके से अन्दर आ जाता है। ठीक इसी प्रकार यदि आप सतसंग में आते हो तो आपको सतसंग में आने का लाभ मिलेगा अन्यथा आपका आना निष्फल है। सतसंग में जहाँ बैठने को मिल जाए वहीं बैठ जाए, जो खाने को मिल जाए उसे परमात्मा कबीर साहिब की रजा से प्रसाद समझ कर खा कर प्रसन्न चित्त रहे।
कबीर, संत मिलन कूं चालिए, तज माया अभिमान।
जो-जो कदम आगे रखे, वो ही यज्ञ समान।।
कबीर, संत मिलन कूं जाईए, दिन में कई-कई बार।
आसोज के मेह ज्यों, घना करे उपकार।।
कबीर, दर्शन साधु का, परमात्मा आवै याद।
लेखे में वोहे घड़ी, बाकी के दिन बाद।।
कबीर, दर्शन साधु का, मुख पर बसै सुहाग।
दर्श उन्हीं को होत हैं, जिनके पूर्ण भाग।।
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Sat bhgti ki sahi vidi Jane ke liye hum se Jude