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गरीब, शीश कट्या मंसूर का, दोनों भुजा समेत। सूली चढ़या पुकारता, कदै न छाड़ो खेत।। गरीब, अनलहक्क कहता चला, मंसूर सूली प्रवेश। जाके ऊपर ऐसी बीती कैसा होगा वो देश।। विचार करने योग्य बात है कि कैसा होगा वह धाम (सतलोक)? जिसे पाने के लिए मंसूर ने शीश और दोनों भुजा के साथ साथ अपना शरीर टुकड़े टुकड़े करवा दिया लेकिन अपना मार्ग नहीं छोड़ा । जब जब किसी महापुरुष ने सत्य बोला है उसे संघर्ष ही झेलना पड़ा है। ऐसे ही अब संत रामपाल जी महाराज उस सतलोक की असली वास्तविकता से जन समाज को परिचित करवा रहे है और उसी के चलते ही उन्हें भी संघर्ष करना पड़ रहा है। लेकिन यह भी सत्य है संतों के काम कभी रुका नहीं करते।

परनारी पैनी छुरी, तीन ठौर से खाय। धन हरे, यौवन हरे, अंत नरक ले जाए।।

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परनारी पैनी छुरी, तीन ठौर से खाय। धन हरे, यौवन हरे, अंत नरक ले जाए।। परनारी पैनी छुरी, तीन ठौर से खाय।   धन हरे, यौवन हरे, अंत नरक ले जाए।। कबीर परमेश्वर ने कहा है :- कि नारियों को भगवान ने सुन्दर और मोहक बनाया है और पुरुषों का काम है कि उनके मोह में उलझे बिना अपना काम करें जिसने भी स्त्रियों के रूप जाल और मोहनी अदाओं पर अपने मन और नैनों को भटकाया उसका नाश तय है। कबीर परमेश्वर ने कहा है :- पर_नारी_पैनी_छुरी__मति_कोई_करो_प्रसंग !    रावण_के_दस_शीश_गये_पर_नारी_के_संग !! इस बात को हर कोई जानता है कि रावण ने पर स्त्री यानी भगवान राम की पत्नी सीता का हरण किया था ! परिणाम आपके सामने है कि रावण ने अपने एक लाख पुत्र व सवा लाख पौत्रों (नाती)के साथ अपने वंश का नाश करवा लिया ! इतिहास और पुराणों में इस तरह की कई कथाएं मौजूद हैं देवी अहिल्या पर कुदृष्टि रखने के कारण देवराज इन्द्र को अपना सिंहासन गवाना पड़ा था। वर्तमान में भी आपने ऐसी कई घटनाएं सुनी होगी की पर स्त्री सम्बंध के कारण कई परिवार तबाह हो गए इसलिए कबीर साहिब जी ने परस्त्रियों को पैनी छुरी कहा है क्योंकि ये कभी रोकर तो कभी हँ...

Kabir is supremegod

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                                EyeWitnessOfGod Complete God KavirDev (Supreme God Kabir), even prior to the knowledge of the Vedas, was present in Satlok, and has also Himself appeared in all the four yugas to impart His real knowledge. In Satyug by the name 'Satsukrit'; in Tretayug by name 'Muninder'; in Dwaparyug by the name 'Karunamay', and in Kalyug, appeared by His real name 'KavirDev' (God Kabir). Apart from this, He appears any time by acquiring different forms and after performing His leela (divine act), disappears. God-loving devout souls are unable to recognise the Supreme God who has appeared at that time to perform a divine act because all the so-called Maharishis and saints have described God as formless. In reality, God is in form. He has a visible human-like body. But God's body is not formed of the union of vessels made up of the five elements. It is made up of one elemen...
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मेरा नाम भूरा है... लोग डंडे ले कर मेरे पीछे भागते है... पत्थरो से मुझे मारते है... मुझे दर्द होता है... फिर मैं बहुत डर जाता हूं। फिर मैं सोचता हूं मैंने क्या गलत किया... मै तो भूखा-प्यासा खाने की उम्मीद मे ही तो आप इंसानों के आस-पास घूमता हूं... मुझे नही पता खाने के लिये पैसे चाहिये होते है l क्या प्यार काफी नही दो रोटी के लिये?? मेरे अंदर भी खून है, हड्डियां है, दिल है.. सच्ची बहुत दर्द होता है... मैं तो बता भी नहीं सकता ... प्लीज मुझे मत मारो। 😥😭 अगर रोटी देने की हैसियत नहीं है तो मारो भी मत साहब....।
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                    !! आम का पेड़ !! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक समय की बात है गौतम बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे। तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ों पर पत्थर मारकर आम तोड़ने लगा। तभी एक पत्थर बुद्ध के सिर पर लगा और सिर से खून बहने लगा। बुद्ध की आँखों में आंसू आ गये। बच्चों ने देखा तो भयभीत हो गये और उन्हें लगा कि अब बुद्ध उन्हें भला-बुरा कहेंगे। बच्चों ने उनके चरण पकड़ लिए और उनसे क्षमा याचना करने लगे। उनमें से एक बच्चे ने कहा, “हमसे भारी भूल हो गई है, हमारी वजह से आपको पत्थर लगा और आपके आंसू आ गये, हमें माफ़ कर दें अब हमसे ऐसी गलती नहीं होगी!” इस पर बुद्ध ने उन्हें समझाते हुए कहा, “बच्चों, मैं इसलिए दुःखी हूँ कि तुमने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हे मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैं तुम्हें सिर्फ भय दे सका।” सच है महापुरुषों का जीवन केवल परमार्थ के लिए ही होता है, खुद को तकलीफ पहुँचने के बावजूद भी वे सिर्फ दूसरों की ख़ुशी के बारे में ही सोचते हैं और ऐसे लोग ही महामानव कहलाते हैं। शिक्षा:- हमें भी भगवान बुद...

Bodh Katha

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This is called dung worm, this worm wakes up in the morning in search of cow dung and keeps making shells of cow dung all day long.        By dusk, a good amount of cow dung is formed. Then he takes this cow dung ball to his bill, after reaching the bill, he realizes that the ball is made big but the hole of the bill is small, despite many efforts, it cannot go into the ball bill.  It is a matter of thinking that not all of us have become like dung worms. Pura Jeevan is so entangled in earning money  When the last time comes, it is known that all these things cannot go together, how many lives we had spent in its affair were not able to consume it, and in collecting it, how many people broke their ties, neither Could give time to you.  This cow dung can kill a man's money-earning worm, if he understands it honestly.  

कलयुग में सत्ययुग

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              कलयुग में सत्ययुग (सन्त रामपाल जी के सत्संग वचनों से उद्धृत) सत्ययुग उस समय को कहते हैं जिस युग में अधर्म नहीं होता। शांति होती है। पिता से पहले पुत्रा की मृत्यु नहीं होती, स्त्रा विधवा नहीं होती। रोग रहित शरीर होता हैं। सर्व मानव भक्ति करते हैं। परमात्मा से डरने वाले होते हैं क्योंकि वे आध्यात्मिक ज्ञान के सर्व कर्मों से परिचित होते हैं। मन, कर्म, वचन से किसी को पीड़ा नहीं देते तथा दुराचारी नहीं होते। जति-सति, स्त्रा पुरूष होते हैं। वृक्षों की अधिकता होती हैं। सर्व मनुष्य वेदों के आधार से भक्ति करते हैं। वर्तमान में कलयुग है। इसमें अधर्म बढ़ चुका है। कलयुग में मानव की भक्ति के प्रति आस्था कम हो जाती है या तो भक्ति करते ही नहीं यदि करते हैं तो शास्त्रा विधि त्याग कर मनमानी भक्ति करते हैं। जो श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23.24 में वर्जित हैं। जिस कारण से परमात्मा से जो लाभ वांछित होता है वह प्राप्त नहीं होता। इसलिए अधिकतर मनुष्य नास्तिक हो जाते हैं। धनी बनने के लिए रिश्वत, चोरी, डाके डालने को माध्यम बनाते हैं। परन्तु यह विधि धन लाभ की...