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कौन है वर्तमान में कबीर साहेब जैसा सतगुरु? आज इस पूरी पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण सतगुरु है जो कि कबीर परमेश्वर जी का ज्ञान सभी आत्माओं को पहुंचा सकते हैं। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति करने से मनुष्य का पूर्ण मोक्ष हो सकता है तथा परमात्मा प्राप्ति हो सकती है। कबीर साहेब जी की आगे की लीलाओं को जानने के लिए कृपया संत रामपाल जी महाराज का सत्संग अवश्य देखें इन चैनलों पर 👇 साधना चैनल पर शाम 07:30 बजे ईश्वर चैनल पर सुबह 6:00 बजे श्रद्धा चैनल पर दोपहर 02:00 बजे

सत भगती की सही राह

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यजुर्वेद अध्याय 40 के मंत्र 10 से 13 मैं प्रमाण है कि वह परमात्मा जन्म लेता है अथवा अवतार लेता है उसकी जानकारी धीरा नाम तत्वदर्शी संत से पूछिए वही बताएंगे वो परमात्मा परमात्मा के बारे में ज्ञान उपदेश करेंगे वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी हैं वह तत्वदर्शी संत है जो सारे वेदों पुराणों से प्रमाणित शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना बताते हैं और मूल मंत्र भी प्रदान करते हैं                           
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#कबीरसागर_का_सरलार्थPart113 अघासुर युग की कथा है। Part-B ‘‘सतगुरू-उवाच‘‘ परमेश्वर जी ने कहा कि हे जलरंग! मैं तो युग-युग में आता हूँ। मैं अमर हूँ। आप तो नाशवान हैं। एक समय मेरे से एक कुष्टम पक्षी मिला था। वह भी इसी ब्रह्माण्ड में रहता है। वह कह रहा था कि मैं असंख्य युग से रह रहा हूँ। उसने बहुत पुरानी बातें बताई। ‘‘जलरंग-उवाच‘‘ यह बात सुनकर जलरंग ने कहा कि जब महाप्रलय होती है, तब वह कुष्टम पक्षी कहाँ रहता है? वह भी नष्ट हो जाता होगा? उस पक्षी को मुझे दिखाओ। ‘‘सतगुरू-वचन‘‘ कुष्टम पक्षी ने मुझे बताया कि मैंने 27 हजार महाप्रलय देखी हैं। कबीर परमेश्वर बता रहे हैं कि मेरे को कुष्टम पक्षी ने बताया कि हे जलरंग! तुम सत्य मानो। जलरंग ने कहा कि मेरे को कुष्टम पक्षी के दर्शन कराओ। यह बात सुनकर विमान में बैठकर मैं तथा जलरंग कुष्टम पक्षी के लोक में गए। हमारे साथ करोड़ों जीव भी गए जो जलरंग के शिष्य बने थे। वहाँ के बुद्धिमान हंस हमसे मिले। कुष्टम पक्षी 50 युग से समाधि लगाए था। कुष्टम पक्षी के गणों (सेवादारों) ने कुष्टम पक्षी को हमारे आने की सूचना दी। कहा कि दो महापुरूष आए हैं। उनके साथ करोड़ों जीव भी आ

कुसंगति

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              कुसंगति एक घड़ी की संगत का फल  पद्मपुराण में एक कथा है- एक बार एक शिकारी शिकार करने गया, शिकार नहीं मिला, थकान हुई और एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। पवन का वेग अधिक था, तो वृक्ष की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी, डालियों के यहाँ-वहाँ हिलने के कारण। वहीं से एक अतिसुन्दर हंस उड़कर जा रहा था, उस हंस ने देखा की वह व्यक्ति बेचारा परेशान हो रहा हैं, धूप उसके मुँह पर आ रही हैं तो ठीक से सो नहीं पा रहा हैं, तो वह हंस पेड़ की डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उसकी छाँव में वह शिकारी आराम से सोयें। जब वह सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर अपना मल विसर्जन कर वहाँ से उड़ गया। तभी शिकारी उठ गया और गुस्से से यहाँ-वहाँ देखने लगा और उसकी नज़र हंस पर पड़ी और उसने तुरंत धनुष बाण निकाला और उस हंस को मार दिया। हंस नीचे गिरा और मरते-मरते हंस ने कहा:- मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छाँव दे रहा था, आपने मुझे ही मार दिया? इसमें मेरा क्या दोष? उस समय उस पद्मपुराण के शिकारी ने कहा: यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की

The whole game is of the imagination of the mind

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A woman said to her husband while dying, "I love you very much and do not want to leave you, do not marry again after I leave, if you do this then I will come as a ghost and trouble you"  The young woman died, her husband respected her last wish for 3 months, after the fourth month he met a young woman and fell in love with her and soon the two became engaged. But on the night of the engagement, a ghost appeared and started accusing the man of breach of promise, after that the same routine continued. The ghost would come every night at night and accuse him of disobedience! The ghost was so clever that he could tell every single thing that happened between the man and his wife. When the man got upset with the ghost, someone advised him to go to a Jain guru in the village with a problem.  He went to the shelter of the Jain Guru, the Jain Guru was actually a Psychologist too, he told his whole story to that Jain Guru, then the Jain Guru said, "Okay! So your wife has beco

गुरु भगवान

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"गुरु दर्श की महिमा" 🌷🙏🌹 सत्संग में समय मिलते ही आने की कोशिश करे तथा सत्संग में नखरे (मान-बड़ाई) करने नहीं आवे। अपितु अपने आपको एक बीमार समझ कर आवे। जैसे बीमार व्यक्ति चाहे कितने ही पैसे वाला हो, चाहे उच्च पदवी वाला हो जब हस्पताल में जाता है तो उस समय उसका उद्देश्य केवल रोग मुक्त होना होता है।  जहाँ डॉक्टर लेटने को कहे लेट जाता है, बैठने को कहे बैठ जाता है, बाहर जाने का निर्देश मिले बाहर चला जाता है। फिर अन्दर आने के लिए आवाज आए चुपके से अन्दर आ जाता है। ठीक इसी प्रकार यदि आप सतसंग में आते हो तो आपको सतसंग में आने का लाभ मिलेगा अन्यथा आपका आना निष्फल है। सतसंग में जहाँ बैठने को मिल जाए वहीं बैठ जाए, जो खाने को मिल जाए उसे परमात्मा कबीर साहिब की रजा से प्रसाद समझ कर खा कर प्रसन्न चित्त रहे। कबीर, संत मिलन कूं चालिए, तज माया अभिमान।  जो-जो कदम आगे रखे, वो ही यज्ञ समान।। कबीर, संत मिलन कूं जाईए, दिन में कई-कई बार।  आसोज के मेह ज्यों, घना करे उपकार।। कबीर, दर्शन साधु का, परमात्मा आवै याद।  लेखे में वोहे घड़ी, बाकी के दिन बाद।। कबीर, दर्शन साधु का, मुख पर बसै सुहाग।  दर्श उन्ह

गलत को गलत कहने की क्षमता नही तो आपकी प्रतिभा व्यर्थ है

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करनी भुगते आपनी , नाना बिधि की मार ॥ गरीब , चौदा कोटि भयंकरम , चौदा मुनि दिवान । कोटि कोटि ताबै किये , साईं का फुरमान ॥ गरीब , रुधिर भरे जहाँ कुंड हैं , कुंभी जिनका नाम । दवारा हैं मुख लोड का , बड़ा भयंकर धाम ॥ गरीब , सो सो योजन कुंड है , गिरद गता बहु भीर । कोट्यो जिव उसारिये , कहिं न पावै थीर ॥ गरीब , हाथ पैर जिनके नहीं , नहीं शीश मुखद्वार । तलछू माछू होत हैं , परै गैब की मार ॥ गरीब , लघुसी बानी कहत हूँ , दीरघ कही न जाय । जम किंकर की मार से , साईं लेत छुड़ाय ॥ गरीब , नीले जिनके होंठ हैं , काली जिनकी जीभ । चिसमे जिनके लाल है , रक्त टपकै पीव ॥ गरीब , सूर स्वान के मुख बने , धड़ तो जिनकी देह । दस्तो जिनके गुर्ज हैं , मारे निर संदेह ॥ गरीब , स्याम वर्ण शंका नही , दागड दुम खलील । उरध चुंच मुख काग का , चिसमे जिनके नील ॥ गरीब , शक्ति सरुपी तन धरै , लघु दीरघ हो जाहिं । बाहर भीतर मार हैं , तन कूं बहु विधि खाहिं ॥ गरीब , कोटि-कोटि की जोट हैं , कोटि-कोटि एक संग । एका-एकी फिरत है , ऐसेभयंकर अंग ॥ . ॥.....जय हो बंदीछोड़ की.....सत साहेब सभी को.....॥