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Showing posts from October, 2020

Bodh Katha

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This is called dung worm, this worm wakes up in the morning in search of cow dung and keeps making shells of cow dung all day long.        By dusk, a good amount of cow dung is formed. Then he takes this cow dung ball to his bill, after reaching the bill, he realizes that the ball is made big but the hole of the bill is small, despite many efforts, it cannot go into the ball bill.  It is a matter of thinking that not all of us have become like dung worms. Pura Jeevan is so entangled in earning money  When the last time comes, it is known that all these things cannot go together, how many lives we had spent in its affair were not able to consume it, and in collecting it, how many people broke their ties, neither Could give time to you.  This cow dung can kill a man's money-earning worm, if he understands it honestly.  

कलयुग में सत्ययुग

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              कलयुग में सत्ययुग (सन्त रामपाल जी के सत्संग वचनों से उद्धृत) सत्ययुग उस समय को कहते हैं जिस युग में अधर्म नहीं होता। शांति होती है। पिता से पहले पुत्रा की मृत्यु नहीं होती, स्त्रा विधवा नहीं होती। रोग रहित शरीर होता हैं। सर्व मानव भक्ति करते हैं। परमात्मा से डरने वाले होते हैं क्योंकि वे आध्यात्मिक ज्ञान के सर्व कर्मों से परिचित होते हैं। मन, कर्म, वचन से किसी को पीड़ा नहीं देते तथा दुराचारी नहीं होते। जति-सति, स्त्रा पुरूष होते हैं। वृक्षों की अधिकता होती हैं। सर्व मनुष्य वेदों के आधार से भक्ति करते हैं। वर्तमान में कलयुग है। इसमें अधर्म बढ़ चुका है। कलयुग में मानव की भक्ति के प्रति आस्था कम हो जाती है या तो भक्ति करते ही नहीं यदि करते हैं तो शास्त्रा विधि त्याग कर मनमानी भक्ति करते हैं। जो श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23.24 में वर्जित हैं। जिस कारण से परमात्मा से जो लाभ वांछित होता है वह प्राप्त नहीं होता। इसलिए अधिकतर मनुष्य नास्तिक हो जाते हैं। धनी बनने के लिए रिश्वत, चोरी, डाके डालने को माध्यम बनाते हैं। परन्तु यह विधि धन लाभ की न होने के कारण परमात्मा के दोषी ह

कर्म का जाल

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नीचे दिया गया चित्र एक मादा बिच्छु का है , इसकी अस्थिमज्जा पर मौजूद ये इसके बच्चे हैं, ये जन्म लेते ही अपनी मां की पीठ पर बैठ जाते हैं और उसके शरीर को ही खाना प्रारम्भ कर देते हैं, तब तक खाते हैं जब तक कि उसकी केवल अस्थियां ही शेष ना रह जाए। वो तङपती है , कराहती है , लेकिन ये पिछा नहीं छोङते , और पलभर में नही मार देते बलकि कई दिनों तक यह मौत से बदतर असहनीय पीङा को झेलती हुई दम तोङती है।  लख चौरासी के कुचक्र में ऐसी ऐसी असंख्य योनियां हैं , जिनकी स्थितियां अज्ञात हैं , कदाचित् इसीलिए भवसागर को अगम अपार कहा गया है।   ऋषिमत के मुताबिक यह भी इन्सानी जूनीं मे किए गये कर्मों का ही भुगतान है। इन्सान इस मनुष्य जीवन में जो कर्म करेगा , नाना प्रकार की असंख्य योनियों में इन कर्मों के आधार से ही उसे दुःख सुख मिलते रहेंगे।  Www.jagatgururampaljiorg.com   चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय  दोय पाटन के बीच में, साबुत बचा ना कोय।

कैसे हो बलात्कार रूपी राक्षस का खात्मा?

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कैसे हो बलात्कार रूपी राक्षस का खात्मा? वर्तमान समय में यौन उत्पीड़न की घटनाएं अखबार के पन्नों पर और टीवी में सुर्खियों में रहती हैं। आए दिन लड़कियां कहीं ना कहीं इस घिनौनी वारदात का शिकार हो रही हैं। भारत में तो बलात्कार आम बात हो गई है। लगभग हर 22 मिनट में भारत में बलात्कार हो रहा है जो एक बहुत ही संवेदनशील विषय है। इस लोक में रहने वाले मनुष्य की वृत्ति भी वही है जो काल ब्रह्म की है। जिसने दुर्गा के साथ दुर्व्यवहार कर तीन पुत्रों की उत्पत्ति की। उसी प्रकार इस लोक में रहने वाले मनुष्यों पर भी वही प्रभाव पड़ रहा है। इसीलिए इसको छोड़कर हमें पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब की भक्ति करनी चाहिए जो सब प्रकार के विकारों से परे हैं। वर्तमान समय में स्वतंत्रता शब्द केवल कहने के लिए रह गया जिसका असल में अब कोई मतलब या मूल्य नहीं है। आज़ादी केवल नाम मात्र की है जबकि परिदृश्य बिल्कुल इसके विपरीत है। आज के समाज में घृणित कृत्यों जैसे शराब पीना, नशे करना, किसी की बहन बेटियों पर भद्दे कमेंट करना, परनारी स्त्री को गंदी नजर से देखना, बलात्कार जैसी अमानवीय घटनाओं का बढ़ना इत्यादि सब एक असभ्य समाज का चित्र है